• आजकल नोट बन्दी को लेकर भारत मै राजनिती अपने चरम पर है, वो सबके सामने है। मुझे कहते हुए अफसोस होता है और दुख भी, वो इसलिए नहीं कि वहां की राजनिती का स्तर इतना गिर चुका है। अफसोस आम आदमी की अक्ल और सोच पर होता है जिसका फायदा उठाना आज के ये राजनेता बाखूबी जानते हैा चलें अब सीधे मुद्दे पर आते है कुछ सवालो के जवाब अपने आप से पूछें।

    1- क्या नोट बन्दी का फैसला सही है? मैं समझता हूं इसमें किसी को ऐतराज़ नह़ी होना चाहिए, काले धन को बाहर निकालने का ये कारगर तारीका है, लेकिन इसको जिस तरह और ज्लद बाजी मै अपनाया गया वो शक पैदा करता है। और शक गलत नही है, कुछ पूंजीपितियो के करोड़ो के करज़े माफ कर सरकारी ख़जाने को खाली करने के बाद इस तरह ग़रीब आम आदमी की जेब से पैसा निकाल कर खाली हुए ख़जाने को फिर से भरना है। यदि आप किसी भी नोट पर पढ़े जहां लिखा है RBI गवरनर की तरफ से "मैं.....धारक को......(उस पर छपी रकम)..अदा करने का वचन देता हू।" इसका मतलब है कानू्न्न आप हकदार हैं उसके बराबर रकम पाने के जो आप बैंक को लौटा रहे हैं। इसमे कोइ शॆत मान्य नहीं होती है। लेकिन यहां तो...... तानाशाही है और तुगलाकी फरमान। मै सिॆफ इतना जानता हू कि यदि इसकी वजह से किसी एक भी इन्सान की मौत हो जाय तो वो शासक फेल हो गया। लेकिन यहा तो देश की जनता पहले ही बटी हुई है या बाट दिया गया है कोइ सब कुछ सही बता रहा है और कोई गलत... अगर विपछ इसको लेकर संसद मै सवाल उठाए और जवाब परधान मन्तरी से मांगे तो उसका जवाब देना कानून उनकी ज़िम्मेदारी है लेकिन..... यहां तो मोदी साहब अपनी तौहीन समझते है और स़सद से नदारत रहते हैं, इसे तानाशाही नही तो और क्या कहेंगे। जो कि लोकतन्तर के लिए खतरा है और इसी सोच ने आज लोगो को धरम और जाति के नाम पर बाट दिया है और इसी सोच की पट्टी कुछ लोगो की आॅखाैं पर बंधी है जो सच देखना और समझना ही नहीं चाहते।

    2- दिल्ली विधान सभा मै केजरीवाल ने मोदी पर लगाए गमभीर आरोप साथ ही पेश किए सबूत।
    यहां सवाल यह उठता है कि इस विडीयो को यू टयूब पर डालने की ज़रूरत क्यो पड़ी? टी. वी. न्यूज़ चैनल वालो ने क्यों नहीं दिखाया?
    और तो और भाजपा नेताओ ने शोर क्यो नहीं मचाया। मैं तो कहता हुं केजरीवाल के ऊपर मान हानि का दावा करना चाहिए था। क्योकि उसने देश के परधान मन्तरी पर गम्भीर आरोप लगाऐ है।
    सोचने कि ज़रूरत यह है कि ऐसा होता क्यो नहीं? वो इसलिए नही क्योकि इसमे कुछ तो सच्चाई होगी ही। सोचिए......सोचिए.....यह मैं आप पर छोड़ता हू। लेकिन यहा पर अंध भक्ति सही नहीं है................।

    सार यह है कि ये सभी राजनैतिक पा॔टियां मिलकर के बन्दर बाट करती है और आपस एक दूसरे को बचातीं हैं। एसे कई उदाहरण मौजूद हैं।
    चलें यहां मैं कुछ केस खोलकर आपके सामने रखता हूं फैसला आप खुद करें...........

    ॰ Abdul Karim Telgi (जिसकी बहुत पहले जेल मैं मौत हो चुकी है) (born 1961) is a convicted Indian counterfeiter. He earned money by printing counterfeit stamp paper in India. He cited Sharad Pawar, then the chief of NCP party, name in relation to a ₹200 billion (US$3.0 billion) stamp-paper scam, during a narcoanalysis filmed by various Indian news channels, wherein he also mentioned NCP leader, and former Deputy Chief Minister of Maharashtra Chhagan Bhujbal. इस केस मैं सवाल ये उठता है कि शरद पवार को सज़ा क्यो नही हुई। मै बताता हूं। क्योंकि
    शरद पवार ने उस समय सरकार बनाने मै क़ागरेस को सपो्रट किया था और उसे इनाम मैं मिली रेलवे मिनीस्टरी और जेल जाने से छूट। वाह....वाह...क्या बात है। दुख की बात तो ये है कि मिडिया ने भी कोई सवाल नही उठाया ....... कयों? कयोकि वो तो बिकाऊ है खरिदार चाहिऐ।

    ॰ राबर्ट वाड्रा और डीएलएफ लैंड डील।
    केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी में डील का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वालों ने भी कुछ नहीं बोला, यानी कुछ न कुछ तो डील हुई है कांग्रेस और बीजेपी के बीच...इनका डील पक्का है...वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई न करना.
    चुनाव से पहले भाजपाईयों ने खासकर उमा भारती ने चीख-चीख कर कहा था कि सत्ता मैं आते ही सबसे पहले राबर्ट वाड्रा को जेल में डालेंगे
    लेकिन हुआ क्या वो सबके सामने है। ऐसे ना जाने कितने केस हैं.............।

    जब तक जनता जागेगी नही ये ऐसे ही उल्लू बनाकर लूटते रहैंगे................